"Chandrapur's ₹100 Crore Underground Sewer Plan Faces Major Sinkhole, Raising Concerns Over New Sewer Projects"

चंद्रपुर शहर के दाताला मार्ग पर बने हनुमान मंदिर के सामने 100 करोड़ रुपये की भूमिगत गटर योजना में एक बड़ा गड्ढा हो गया। यह गड्ढा 10 फीट से ज्यादा गहरा है। इस मार्ग पर रामनगर स्थित संत कवंवरराम चौक से लेकर दाताला तक दिनभर और रात में भारी आवाजाही होती है। हालांकि, स्थानीय नागरिकों ने सतर्कता दिखाते हुए इस जगह पर पत्थर रखकर और लाल कपड़े का झंडा लगाकर लोगों को आगाह किया, जिससे कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

चंद्रपुर नगर परिषद द्वारा 15 साल पहले जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण योजना के तहत 100 करोड़ रुपये की लागत से इस भूमिगत गटर योजना को तैयार किया गया था। इस परियोजना का सारा काम कर्ताधर्ताओं ने पूरा कर लिया था और सभी ठेकेदारों का भुगतान भी नगर परिषद ने कर दिया था। लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों के भ्रष्टाचार की वजह से यह योजना अब तक पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई है।

पिछले चार से पांच सालों तक शहर में गड्ढे और धूल का साम्राज्य फैला रहा, जिससे कई बच्चों और नागरिकों को श्वास संबंधी बीमारियों के साथ-साथ गर्दन और रीढ़ की समस्याओं का सामना करना पड़ा। जनविकास सेना के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व नगरसेवक पप्पू देशमुख ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार इस योजना में हुई गड़बड़ियों की जांच नहीं कर रही और दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों का बचाव कर रही है।

506 करोड़ की नई योजना का विरोध

पप्पू देशमुख ने कहा कि 100 करोड़ की पुरानी गटर योजना में अब गड्ढे पड़ने शुरू हो गए हैं। हम लगातार इस भ्रष्टाचार की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें बचाने का प्रयास कर रही है।

दूसरी तरफ, राज्य सरकार 506 करोड़ रुपये की नई भूमिगत गटर योजना चंद्रपुर के निवासियों पर थोपने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 448 करोड़ रुपये के बजट वाली इस योजना का काम ठेकेदार को 506 करोड़ रुपये में दिया गया, जो निविदा प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं को दर्शाता है।

जनविकास सेना की मांग है कि 100 करोड़ की पुरानी गटर योजना और 506 करोड़ की नई गटर योजना की निविदा प्रक्रिया में हुए 50 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की जांच की जाए और दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। पप्पू देशमुख ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इन दोनों योजनाओं के भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश करती है और 506 करोड़ रुपये की नई योजना चंद्रपुर के नागरिकों पर थोपती है, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।