"Gosekhurd Irrigation Project Incomplete for 40 Years: Vidarbha Farmers Facing Water Scarcity and Flood Crisis"

विदर्भ की महत्वाकांक्षी इंदिरासागर गोसेखुर्द बांध योजना 40 साल पहले लागू की गई थी। भंडारा जिले के पवनी तालुका में वैनगंगा नदी पर 11.35 किलोमीटर लंबा यह बांध किसानों को सिंचाई सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया था। राज्य के एकमात्र राष्ट्रीय सिंचाई प्रोजेक्ट होने के बावजूद, पूर्व विदर्भ में स्थित इस गोसेखुर्द प्रोजेक्ट का कार्य पिछले 40 सालों से अधूरा है। इसकी वजह से किसानों को उचित सिंचाई सुविधा नहीं मिल रही है, और इसके उलट हर साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे किसानों और सरकार दोनों का नुकसान हो रहा है।

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किसानों ने एक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में गोसेखुर्द प्रोजेक्ट को इटियाडोह प्रोजेक्ट से जोड़कर नहर बनाने का सुझाव दिया है। इस योजना के माध्यम से पानी को कोरची, कुरखेड़ा, मालेवाड़ा, धानोरा और गडचिरोली की दिशा में प्रवाहित किया जा सकता है, जिससे इन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। इससे किसानों को एक ही मौसम में दो फसलें और कई तरह की फसलें उगाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकेगी।

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इसके अलावा, गडचिरोली जिले के वन्यजीवों की पेयजल की समस्या भी इस योजना से हल हो सकती है। अन्य अपूर्ण नहरों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की गई है ताकि चंद्रपुर जिले के किसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को रोका जा सके। यदि जल प्रबंधन को सही तरीके से किया जाता है, तो लगातार बाढ़ की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

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अब सरकार से अपील की जा रही है कि वह आरमोरी विधानसभा क्षेत्र के किसानों के पानी की समस्याओं का समाधान करने के लिए तत्काल ध्यान दे।

यह मांग खेमराज भाऊ नेवारे और उनके साथियों ने उपविभागीय अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन देकर की। इस मौके पर खेमराज भाऊ नेवारे, तुषार रहाटे, महेश कुमार मडावी, खुशाल होली, नरेश वासनिक और कई अन्य किसान मौजूद थे।